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। सं० १७८६ वर्षे आखोज सुदि ८ श्रीपासचन्द गच्छे ॥ श्री उपाध्याय प्रेमचन्द जीना पादुका
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॥ संघत १८१८ वर्षे श्री संभवनाथ जिनचरण कमल स्थापित साह माणिक चंदेन जीर्णोद्धार करापित ॥
( 318 ) सं० १८२५ वर्षे माघ शु. ३ गुरी गोवर्द्धन सत सरुपचंदेन प्रति महि- - नाथ बिंध कारापित।
( 319 ) ॥ संवत् १८२९ श्री ५ पं० लालचन्दजी पादुकं ॥ मनसारामेन स्थापितं । सर्वत् १८२६ भी ५५० रुपचन्दजी पादुका । संवत् १८२६ श्री ५ श्री वा० भारमल्डजी।
( 320 ) ॥ शुभ संवत् १८७० वर्षे ॥ वैसाख शुक्ल पंचम्यां चंद्रवासरे श्री जिन कुशल सूरीश्वर सदगुरुणा चरण पादुका प्रतिष्ठिता भी महत्खरतर गच्छे भहारक श्री जिन अक्षय सूरि पहालंकृत श्री जिनचन्द्र सूरिभिः श्री मस्पाटलिपुर वास्तव्य । समस्त भी संधः प्रतिष्ठा कारापिता। पं । गषि श्री की[दयोपदेशात् ॥ श्री रस्तु।
( 321 ) सम्बत् ॥ १८०० वर्षे वैशाष गुरु पंचम्यां चन्द्र वासरे शी जिन कुगल सूरीश्वर बदगुरुषां चरण पादुका प्रतिष्ठिता महारक श्री जिन मानव पूरि हाकत भी गिन