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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला मोक्ष में जाने के बाद अक्रिय है। पुद्गल द्रव्य सदा सक्रिय है। इस प्रकार नित्य अनित्य पक्ष में चौभङ्गी कही गई है। (आगमसार )
__(उत्तराध्ययन ३६ अ०) ४२५ सामान्य गुण छह
सामान्य रूप से सभी द्रव्यों में रहने वाले गुण सामान्य गुण कहलाते हैं । सामान्य गुण छह हैं
(१) अस्तित्व-द्रव्य का सदा सत् अर्थात् विद्यमान रहना अस्तित्व गुण है। इसी गुण के होने से द्रव्य में सद्रूपता का व्यवहार होता है।
(२) वस्तुत्व-द्रव्य का सामान्य विशेषात्मक स्वरूप वस्तुत गुण है। जैसे सुवर्ण घट में घटत्व सामान्य गुण है और सौवर्णत्व विशेष गुण है । इसलिए सुवर्ण घट सामान्य विशेषात्मक है। अपग्रह ज्ञान में सब पदार्थों के सामान्य स्वरूप का आभास होता है और अवाय में विशेष का भी आभास होजाता है।
अथवा, द्रव्य में अर्थक्रिया का होना वस्तुत्व गुण है । जैसे घट में जलधारण रूप अर्थक्रिया ।
(३) द्रव्यत्व-गुण और पर्यायों का आधार होना द्रव्यत्व गुण है।
(४) प्रमेयत्व-प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों का विषय होना प्रमेयत्व गुण है।
(५) अगुरुलघुत्व-व्य का गुरु अर्थात् भारी या लघु अर्थात् हल्का न होना अरुलघुत्व गुण है । अगुरुलघुत्व गुण सूक्ष्म है, इसलिए केवल अनुभव का विषय है।
(६) प्रदेशवत्व-वस्तु के निरंश अंश को प्रदेश कहते