Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 02
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 403
________________ 370 श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला खड़े हुए हाथी को क्यों नहीं देखता ? ___ अगर एक से अधिक क्रियाओं का उपयोग एक समय में मानते हो तोदो क्रियाओं का नियम नहीं बन सकेगा। एक ही समय दो की तरह बहुत से उपयोग होने लगेंगे / अवधिज्ञानीको एक ही पदार्थ में अनेक उपयोग होने लगेंगे। शंका-एक वस्तु में एक समय में अवग्रह, ईहा, अवाय, धारणा आदि अनेक उपयोग होते ही हैं। इसलिए तुम्हारी यह आपत्ति ठीक नहीं है। उत्तर-बहु, बहुविध आदि स्वरूप वस्तु के अनेक पर्यायों का ग्रहण अवग्रहादि के द्वारा होता है। वहाँ उत्तरोत्तर उपयोग अलग अलग पर्यायों को ग्रहण करता है। वे सब होते भी भिन्न भिन्न समय में हैं। इसलिए यह कहना ठीक नहीं है कि एक ही वस्तु में एक समय में अनेक उपयोग होते हैं। शंका- क्या दो क्रियाओं का एक साथ उपयोग किसी प्रकार नहीं हो सकता? उत्तर- सामान्य रूप से हो सकता है। जब यह कहा जाय 'मुझे वेदना हो रही है।' शीत और उष्ण का विशेष वेदन तो एक साथ नहीं हो सकता। - शंका- यदि वेदना मात्र का ग्राहक सामान्यज्ञान है तो शीत और उष्ण रूप से भी वह उसे क्यों नहीं ग्रहण करता ? - उत्तर-सामान्यग्राहक और विशेषग्राहक दोनों ज्ञान एक साथ नहीं हो सकते, क्योंकि सामान्य और विशेष दोनों भिन्न लक्षण वाले हैं। एक समय दोनों एक ही ज्ञान में नहीं मालूम पड़ते। अगर दोनों एक ही साथ प्रतीत हों तो एक ही हो जायँ / जैसे सामान्य और उसका स्वरूप या विशेष और उसका स्वरूप। सामान्य और विशेष दोनों ज्ञान भिन्न 2 हैं। इसलिये वे क्रम

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