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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह
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पाँच बाण एक साथ फैंक सकता है, अगर उसे ही पुराना और सड़ा हुआ धनुष तथा गली हुई डोरी दे दोजाय तो नहीं फेंक सकता । राजन् ! जिस तरह उपकरणों की कमी से वही पुरुष बाण नहीं फेंक सकता इसी तरह बालक में भी शिक्षारूप उपकरण की कमी है । जब वह बालक शिक्षा रूप उपकरण की कमी को पूरा कर लेता है तो सरलता से युवा पुरुष की तरह बाण फेंक सकता है। इसलिए बालक और युवा में होने वाला अन्तर जीव के छोटे बड़े होने से नहीं किन्तु उपकरणों के होने और न होने से होता है। परदेशी- भगवन् ! एक तरुण पुरुष लोहे, सीसे या जस्त के बड़े भार को उठा सकता है। वही पुरुष जब बूढ़ा हो जाता है, अङ्गोपाङ्ग ढीले पड़ जाते हैं, चलने के लिए लकड़ी का सहारा लेने लगता है। उस समय वह बड़ा भार नहीं उठा सकता। अगर जीव शरीर से भिन्न होता तो वृद्ध भी भार उठाने में अवश्य समर्थ होता। केशिश्रमण- इतने बड़े भार (कावड़) को युवा पुरुष ही उठा सकता है, लेकिन उसके पास भी अगर साधनों की कमी हो, गहर की सारी चीजें बिखरी हुई हों, कपड़ा गला तथा फटा हुआ हो, डोरी और बाँस निर्बल हो तो वह भी नहीं उठा सकेगा। इसी तरह वृद्ध पुरुष भो बाह्य शारीरिक साधनों की कमी होने से गहर उठाने में असमर्थ है। (६) परदेशी -- मैंने एक चोर को जीवित तोला । मारने के बाद फिर तोला । दोनों बार एक सरीखा वजन था। अगर जीव अलग वस्तु होती तो उसके निकलने से वजन अवश्य कम होता । दोनों स्थितियों में वजन का कुछ भी फरक न पड़ने