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( २४ ) ज्ञाता-दृष्टा बुद्धि प्रगट हो गई और मैं करता हूँ ऐसी
खोटी मान्यता का प्रभाव हो गया। प्रश्न (४८)--पुद्गलास्तिकाय के विषय में क्या ध्यान रखना
चाहिए ? उत्तर--(१) पुद्, (२) गल, (३) अस्ति, (४) काय यह पुद्गल
का स्वभाव है यह पुद्गल का हीकार्य है जीव का नहीं। पुद्गल का स्वभाव न मानकर मैं इनको करता है उसने पुद्गलास्तिकाय को नहीं माना और अपने को
नहीं माना। प्रश्न (४६)--पुद्गल कितने हैं और कहाँ कहां रहते हैं ? उत्तर-पुद्गल द्रव्य जीव से अनतानन्त गुणें हैं और सम्पूर्ण
लोकाकाश में रहते हैं। प्रश्न (५०)-पुद्गल द्रव्य जीव से अनन्तानन्त गुणें हैं यह कब
माना ? उत्तर-एक परमाणु के द्रव्य क्षेत्र काल भाव का दूसरे पर
माणुमों के द्रव्य क्षेत्र काल भाव से सम्बंध नहीं है जैसे किताब है इसमें वास्तव में एक एक परमाणु अपने २ द्रव्य क्षेत्र काल भाव में ही रहकर कार्य कर रहा है। जब एक पुदगल का दूसरे पुदगल से सम्बध नहीं है तो जीव से पुद्गल का सम्बध का प्रतिभास निगोद का
कारण है। प्रश्न (५१)-पुद्गल द्रब्य सम्पूर्ण लोकाकाश में रहते हैं यह
बात साची है या झूठी ?