Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 190
________________ ( १८४ ) विषयों में मिथ्यामान्यता क्या क्या है, सच्चे कारण कार्यादिक का ज्ञान होने से मिथ्यात्व का प्रभाव और सम्यग्दर्शन की प्राप्ति होकर साथ ही केवल ज्ञान में जैसा वस्तु का स्वभाव है वैसा ही दृष्टि में आ जाता है। प्रश्न (३४२ -जिरासे सम्यग्दर्शन हो और फिर क्रम से मोक्ष हो ऐसी पाठ बातों में से बंध किसे कहते हैं ? उत्तर-जिस सम्बध विशेष से अनेक वस्तुओं में एकपने का ___ का ज्ञान होता है उस सम्बध विशेष को बध कहते है । प्रश्न (३४३)-बध की परिभाषा स्पष्ट समझ में नही आई ? उत्तर-(१) अनेक चीजें होनी चाहिए (२। अनेक चीजो में एकपने का ज्ञान होना चाहिए (३) परन्तु ज्ञान मे प्रत्येक वस्तु की स्वतंत्रता आनी चाहिये । जैससे हल्वा कहा तो १) हल्वे में अनेक परमाणु हैं तो यह अनेक चोजे हुई । (२)ज्ञान मे पाया कि यह हल्वा है तो यह एकपने का ज्ञान है । (३) हल्वे में जितने परमाणु हैं वह अलग अलग है एक का दूसरे से सम्बध नहीं है यह प्रत्येक वस्तु की स्वतंत्रता ज्ञान में पानी चाहिये। तभी बंध का सच्चा ज्ञान कहा जा सकता है । प्रश्न (३४४,-दूध और कंकडका सम्बंध विशेष बंध है या नहीं ? उत्तर ---(१) दूध और कंकडका को सम्बंध विशेष बंध नहीं कह सकते क्योंकि दोनों अलग अलग ज्ञान में प्राते है। (२) दूध और पानी को सम्बन्ध विशेष बंध कहेंगे क्योकि दूध और पानी अनेक चीजों में एक पने का ज्ञान कराता है इसलिए इसे सम्बध विशेष बध कहेंगे। प्रश्न (३४५)-दूध और पानी के बध को सम्बध विशेष बंध कब

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