Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal

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Page 189
________________ ( १८३ ) गई । व्यय प्रश्न ( ३३६ ) - अन्तरायकर्म के क्षयोपशम से वीर्य में क्षयोपशम उत्पन्न हुआ इसमें उत्पाद और धौव्य लगाओ, और लाभ बताओ ? उत्तर क्षयोपशम का उत्पाद पहली पर्याय का व्यय, का वीर्य गुण ध्रौव्य है । अन्तरायकर्म के क्षयोपशम से द्रष्टि से उड़ गई । ग्रात्मा प्रश्न ( ३४० ) - जिस जीव ने अपना कल्याण करना हो उसे क्या क्या जानना जरूरी है ? उत्तर- जिस जीव को मिथ्यात्व का अभाव करके सम्यग्दशन प्राप्त करना हो और सम्यग्दर्शन प्राप्त करके मोक्ष प्राप्त करना हो उसे सच्चे कारण कार्य का ज्ञान करने के लिए आठ बातों का निर्णय करना चाहिए । प्रश्न ( ३०१ - जिससे सम्यग्दर्शन हो, फिर मोक्ष हो ऐसे सच्चे कारण कार्य का ज्ञान करने के लिए आठ बाते कौन कौन सी हैं ? उत्तर- (१) बंध किसे कहते है ? (२) जीव और पुद्गल के निश्चय और व्यवहार के बंध का ज्ञान, (३) इन्द्रिय ज्ञान की मर्यादा क्या है, (४) विकारी और अविकारी पर्यायों की स्वतंत्रता का ज्ञान, (५ विकारी पर्याय को पराश्रित क्यों कहा, इसका ज्ञान, (६) जब विकारी पर्याय स्वतंत्र है तो शास्त्रों में स्व-पर प्रत्ययों को क्यों कहा जाता है, (७) प्रत्येक स्कध में हर एक परमाणु अपना अपना स्वतंत्र कार्य करता है । उसकी स्वतंत्रता का ज्ञान, (५) अर्थ पर्याय व्यंजन पर्याय के और

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