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(१४५) (२) जब गुण को अशी कहा तो, पर्याम को मंश
कहा। प्रश्न (१२८)--पांच अजीव द्रव्य हैं वह जानते नहीं है,तो वे
(अजीव) किसी के आधार के बिना कैसे व्यवस्थित रह
सकते हैं ? उत्तर-(१) पांचों अजीव द्रव्य अस्तित्वादि सामान्यगुण मौर
अपने अपने विशेषगुण सहित हैं।
(२) पांचों अजीव द्रव्यों में सत्पना लक्षण होने से उत्पाद व्ययध्रौव्ययुक्त हैं। उन्हें किसी आधार की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अनादिनिधन वस्तु जुदी जुदी अपनी मर्यादा लिए स्वयं परिणमती है किसी की परिणमाई परिणमती नहीं हैं क्योंकि स्वयं कायम रहकर
बदलना प्रत्येक वस्तु का स्वभाव है। प्रश्न (१२६)-पर्यायें किससे होती हैं ? उत्तर-द्रव्य और गुणों से होती हैं । प्रश्न (१३.)-द्रव्य और गुणों से पर्याय होती हैं तो इस अपेक्षा
पर्याय के कितने भेद हैं ? उत्तर-दो हैं (१) द्रव्य पर्याय, (२) गुणपर्याय । प्रश्न (१३१ -द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ? उत्तर-अनेक द्रव्यों में एकपने का ज्ञान वह द्रव्य पर्याय है।
प्रश्न (१३२ -गुण पर्याय किसे कहते हैं ? • उत्तर-गुण द्वारा पर्याय में अनेकपने की प्रतिपत्ति बह गुण
पर्याय है। प्रश्न (१३३) --द्रव्य पर्याय के कितने भेद हैं ? ..