________________
(६१) प्रश्न (१९५)-छहों द्रव्यों में समान रुप से पाया जाने वाला
ऐसा पाठवाँ प्रकार क्या है ? उत्तर-अपने द्रव्य में अर्तमग्न रहने वाले अपने अनन्त धर्मों
के चक्र को (समूह को) चुम्बन करते हैं, स्पर्श करते हैं, वे परस्पर एक दूसरे का स्पर्श नहीं करते, यह छह द्रव्यों
में समान रुप से पाया जाने वाला आठवाँ प्रकार है। प्रश्न (१९६)-छहो द्रव्यों में समान रुप से पाया जाने वाला
ऐसा नौवां प्रकार मोक्षमार्ग प्रकाशक में क्या बताया है ? उत्तर-अनादि निधन वस्तु जुदी जुदी अपनी अपनी मर्यादा लिए परिणामें हैं कोई किसी का परिणमाया परिणमत्ता नाही यह छह द्रव्यों में समान रुप से पाया जाने वाला नौवाँ
प्रकार है। प्रश्न (१९७)-छहों द्रव्यों में समान रूप से पाया जाने वाला
ऐसा दसवां प्रकार क्या है ? उत्तर-एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कुछ भी नहीं कर सकता;
उसे परिणमित नहीं कर सकता, प्रेरणा नहीं कर सकता, लाभ हानि नहीं कर सकता, उस पर प्रभाव नहीं डाल सकता. कोई किसी की सहायता या उपकार या अपकार नहीं कर सकता, ऐसी प्रत्येक द्रव्य गुण पर्याय की सम्पूर्ण स्वतंत्रता अनन्त ज्ञानियों ने अर्थात् - (जिन-जिनवर जिनवरवृषभों ने) पुकार पुकार कर कही है यह छहों द्रव्यों में समान रुप से पाया जाने वाला दसवां
प्रकार है। प्रश्न (१९८)-यह छः द्रव्यों में समान रुप से पाया जाने वाला .. दस प्रकारों के जानने का क्या लाभ है ? . . .