________________
( ५५ )
प्रश्न (३१) -- प्रत्येक द्रव्य के पास अनन्तानन्त गुण हैं इसको जानने से हमें क्या लाभ है ?
उत्तर - जब सबके पास अनन्तानन्त गुण हैं किसी पर भी कम या ज्यादा नहीं हैं तो पर की ओर देखना नहीं रहा, मात्र अपने अनन्तगुणों के अभेद पिण्ड की ही प्रोर देखना रहा । प्रश्न (३२) अपने अनन्तगुणों के प्रभेद पिण्ड की ओर देखने से क्या होता है ?
उत्तर
- (१) मिथ्यात्व श्रविरति, प्रमाद, कषाय और योग इन पांच संसार के कारणों का अभाव हो जाता है ।
( २ ) पंच परावर्तन का प्रभाव हो जाता है ।
( ३ ) चार गति का प्रभाव होकर पंचम गति मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है ।
(४) पंचम पारिणामिक भाव का महत्त्व प्रा जाता है और दयिक भाव का महत्त्व छूट जाता है, पर्याय में क्षायिक भावों की प्रगटता हो जाती है।
(५) पंच परमेष्ठियों में उसकी गिनती होने लगती है । ( ६ ) आठों कर्मों का अभाव हो जाता है ।
(७) मात्र ज्ञाता द्रष्टापना प्रगट हो जाता है । (८) कर्ता-भोक्ता की खोटी बुद्धि का अभाव होकर सम्यग्दर्शनादि की प्राप्ति हो जाती है ।
प्रश्न ( ३३ ) -- गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं इसको स्पष्ट करने के लिए सुदृष्टि तरंगणी में क्या द्रष्टान्त दिया है ? उत्तर - जैसे एक गुफा में छह मुनि बैठे हैं, एक ध्यान में लीन हैं, एक आहार के निमित्त जा रहा है, एक को शेर खा रहा है, एक सामायिक कर रहा है ; उसी प्रकार