Book Title: Jain Shramani Parampara Ek Sarvekshan Author(s): Vijayshree Sadhvi Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan View full book textPage 5
________________ इतिहास अधूरा है। इस कमी की प्रतिपूर्ति महासतीजी के शोध ग्रन्थ ने की है। यह ग्रन्थ सभी के ज्ञानार्जन में सहयोगी बने और वीतराग - मार्ग प्रशस्त हो ऐसी मंगल कामना करते हैं। महासाध्वी श्री विजयश्री जी महाराज का जीवन अध्यात्म से भरपूर गुणग्राहक है और चिन्तन से परिपूर्ण हैं आप विनय की प्रतिमूर्ति हैं। अध्यात्म के क्षेत्र में आप उत्तरोत्तर अभिवद्धि को प्राप्त करें। यही हार्दिक मंगल भावना। सहमंगल मैत्री Jain Education International आचार्य शिवमुनि एस. एस. जैन सभा जैन बाजार जम्मू तवी - जे.एण्ड. के. दि. 5 अक्टूबर, 2006 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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