________________
जैन श्रमणी परम्परा : एक सर्वेक्षण श्री भक्तिसूरीश्वर जी के समुदाय में श्री जयश्री जी धर्मप्रभाविका साध्वी थी, ये 88 शिष्या प्रशिष्याओं की संयमदात्री रहीं। इसी समुदाय की श्री हर्षलताश्री जी ने अपने ही परिवार के 45 स्वजनों को संयम पथ पर आरूढ़ करके जैन संघ को बड़ा भारी अनुदान दिया। श्री विजयकेसरसूरि जी के समुदाय में प्रवर्तिनी श्री सौभाग्यश्री जी, प्रवर्तिनी श्री नेमश्री जी, श्री विनयश्री जी, श्री त्रिलोचनाश्री जी गहन ज्ञान की धारक एवं विशाल श्रमणी परिवार का नेतृत्त्व करने में कुशल थी। प्रवर्तिनी श्री मनोहरश्री जी कठोर संयमी थीं। श्री विबोधश्री जी शासन की विविध प्रकार से उन्नति करने में अग्रणी गणनीय साध्वी हैं। तपागच्छ के विजय हिमाचलसूरि जी, विजय शांतिचन्द्रसूरि जी, विजय अमृतसूरिजी, आचार्य मोहनलालजी महाराज एवं विमलगच्छ आदि के समुदाय में भी अनेक विशिष्ट साध्वियां मौजूद है।
त्रिस्तुतिक-साध्वी समुदाय में विद्याश्री जी प्रथम महत्तरा साध्वी के रूपमें प्रतिष्ठित हुई हैं। इनकी शिष्याएँ डॉ. प्रियदर्शनाश्री जी और डॉ. सुदर्शनाश्री जी विदुषी साध्वियाँ हैं। इनके अतिरिक्त वर्तमान में इस समुदाय में 178 श्रमणियाँ हैं। पार्श्वचन्द्रगच्छ में प्रवर्तिनी
15
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org