Book Title: Jain Shramani Parampara Ek Sarvekshan
Author(s): Vijayshree Sadhvi
Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan

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Page 50
________________ जैन श्रमणी परम्परा : एक सर्वेक्षण जीर्णोद्धार आदि में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, कइयों ने जन कल्याण और मानव सेवा जैसे रचनात्मक कार्य करके धर्म व समाज को गतिशील बनाया। कइयों ने आगम वाणी व प्राचीन ग्रंथों की सुरक्षा हेतु प्रतिलिपिकरण का कार्य किया। वीतराग संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए अनेक श्रमणियों ने मिथ्यात्व पोषक परम्पराओं एवं शिथिलाचार के विरूद्ध क्रियोद्धार कर स्वस्थ परम्परा का निर्माण किया। ये सभी वे महत्त्वपूर्ण पहलू हैं, जिन पर पृथक्-पृथक् रूप से शोध की आवश्यकता है। श्रमणियों का योगदान प्रत्येक क्षेत्र में अनूठा है; अनुपम है, विशिष्ट है। उनमें ऐतिहासिक शोध की पर्याप्त सामग्री है। श्रमणियाँ एक प्रज्वलित ज्योति हैं, उनमें प्रज्ञा का प्रकाश भी है और आचार की उष्मा भी है। उनका जीवन ज्ञान और क्रिया, बुद्धि और विवेक, प्रज्ञा और प्रक्रिया का समन्वित रूप है। इन्द्रधनुष से भी अधिक वे जिनशासन रूपी गगन में शोभा को प्राप्त हुई हैं, उनका व्यक्तित्त्व अलौकिक आभा से मंडित रहा है। इतना होने पर भी आज के युग में श्रमणियों को लेकर समाज के समक्ष कुछ ऐसे प्रश्न हैं, जो अनुत्तरित हैं .. 35 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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