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जैन श्रमणी परम्परा : एक सर्वेक्षण उपसंहार :
वस्तुतः जैन धर्म में श्रमणियों के योगदानों की एक लम्बी सूची है, जिन्होंने समाज को नया विचार, नया चिन्तन और नई वाणी दी एवं प्रसुप्त समाज को प्रबुद्ध बनाया। जैन श्रमणियाँ दिव्य साधना की मुँह बोलती तस्वीरें हैं, ये प्रत्येक काल, प्रत्येक क्षेत्र और प्रत्येक सम्प्रदाय में व्यापक रूप से दृष्टिगोचर होती हैं। शोध की मर्यादा और सीमा होने से हम उनकी विस्तृत चर्चा नहीं कर पाये। इनमें कितनी ही श्रमणियों ने अहिंसक और व्यसनमुक्त समाज की संरचना में सहयोग दिया तो कितनी ही श्रमणियों ने धार्मिक व आध्यात्मिक उत्कृष्ट तपोमय जीवन के साथ आगम स्वाध्याय, ध्यान साधना, तप-जप संलेखना आदि करते हुए आत्मोन्नति का मार्ग प्रशस्त किया। कितनी ही महाविदुषी श्रमणियों ने चिन्तन प्रधान, उच्चस्तरीय ग्रंथों की रचना की, कइयों ने काव्य क्षेत्र में सुन्दर आध्यात्मिक गीत प्रस्तुत किये, जिनमें काव्य जगत की सभी शैलियों और प्रवृत्तियों को खोजा जा सकता है। कइयों ने स्कूल, कॉलेज, धार्मिक पाठशालाएँ, धर्म स्थान व प्राचीन मन्दिरों के
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