Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 14
________________ प्रस्तावना १. साधारण परिचय इस संग्रह में पिछले लगभग दस वर्षों में प्रकाशित ३७५ जैन शिलालेखो का विवरण संकलित किया है। पहले हम इन का साधारण परिचय प्रस्तुत करेगे । (अ) प्रदेश विस्तार -- ये लेख भारत के नौ राज्यो तथा दो केन्द्रशासित प्रदेशो में प्राप्त हुए हैं तथा एक लेख का चित्र पैरिस म्यूजियम से प्राप्त हुआ है । लेखो की प्रदेशानुसार संख्या इस प्रकार है महाराष्ट्र ४०, मैसूर ७५, मद्रास ७, आन्ध्र २५, मध्यप्रदेश ९८, राजस्थान २६, उत्तरप्रदेश १००, बिहार १, गुजरात १, दिल्ली १ तथा गोवा १ । (आ) भाषा व लिपि - इन लेखो मे प्राकृत, संस्कृत, कन्नड व तमिल इन चार मुख्य भाषाओ का उपयोग हुआ है ( मराठी व हिन्दी के कुछ अंश कुछ लेखों में हैं किन्तु इन का ठीक-ठीक विवरण नही मिल सका ) | इस दृष्टि से लेखों की संख्या का वर्गीकरण इस प्रकार है प्राकृत २, संस्कृत २५६, कन्नड ११० व तमिल ७ । प्राकृत व संस्कृत के सातवी सदी तक के लेखों की लिपि ब्राह्मी है । बाद के संस्कृत लेख ब्राह्मी की उत्तराधिकारिणी नागरी लिपि में है । कन्नड लेख कन्नड लिपि में व तमिल लेख तमिल लिपि में हैं । यहाँ नोट करने योग्य है कि १ इस सकलन के लिए इस अवधि में प्रकाशित लगभग सात हजार शिलालेखों के farरण का हम ने अध्ययन किया। इन में लगभग सात सौ जेनों से सम्बन्धित हैं । इस सग्रह के पूर्व प्रकाशित भागों की परम्परा के अनुसार इस में श्वेताम्बर सम्प्रदाय से सम्बद्ध लेखों का विवरण नहीं दिया गया ।

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