Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 73
________________ - २८५ ] सोनागिरि (१) मन्दिर नं० ४ व ५ के बीच चोबीस तीर्थंकरों के चरणों का एक शिल्पांकित पट है उस पर यह लेख है । इस मे भ० राजेन्द्रभूषण के बन्धु सुरेन्द्रकीति की शिष्या वसुमती का नाम अंकित है । रि० इ० ए० १९६२-६३ शि० क्र० बी ३६० १०९ (२) यह लेख मन्दिर नं० ५८ में है । दतिया के राजा छत्रजीत के राज्यकाल में बलवन्तनगर निवासी परमानन्द व प्रतापकुंवरि के पुत्र लाला देवकीनन्दन, भगवानदास, मुकुन्दलाल व रामप्रसाद द्वारा आदिनाथ, पार्श्वनाथ व महावीर के मन्दिरों का निर्माण किया गया था । प्रतिष्ठा भ० महेन्द्रकीति द्वारा सम्पन्न हुई थी । उपर्युक्त, शि० क्र० बी ३७५ एक मूर्ति के पादपीठ पर महेन्द्रभूषण तथा ब्र० (३) यह लेख मन्दिर नं० ९ में स्थित है । इस में भ० जिनेन्द्रभूषण के पट्टधर भ० हर्षसागर के नाम अकित हैं । उपर्युक्त, शि० क्र० बी ४०५ (४) यह लेख मन्दिर नं० ८ में स्थित एक मूर्ति के पादपीठ पर है । इस मे मूलसंघ बलात्कारगण के भ० जिनेन्द्रभूषण व महेन्द्रभूषण के नाम अंकित है । रि० १० २० १९६३-६४ शि० क्र० बी० १३७ २८५ सोनागिरि ( दतिया, मध्यप्रदेश ) सं० १८६८ = सन् १८११, संस्कृत-हिन्दी-नागरी श्रीमच्चन्द्रप्रभाय नमो नमः । संवत् १८६८ मिती माघ सुदि ५ श्रीमहाराजाधिराज श्रीराडराजा पारीछत बहादुरजदेवस्य राज्योदये

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