Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 78
________________ ११४ जैन-शिलालेख-संग्रह [३०६ - राजेन्द्रभूषण के नाम अकित है तथा स० १९१३ यह मूर्तिस्थापना का वर्ष बताया है। उपर्युक्त शि० ऋ० बो ३९० (३) यह लेख मन्दिर नं० ५२ मे है। इस में सं० १९१७ में ललतपुर के रामचन्द्र का नाम अकित है। उपर्युक्त, शि० क्र० बी ३६९ (४) यह लेख मन्दिर न० ६५ व ६६ के बीच चरणपादुका के पास है । स. १९१८ के अतिरिक्त इस का अन्य विवरण अस्पष्ट है । ___ उपर्युक्त, शि० ऋ० बी ३७६ (५) यह लेख मन्दिर न० १८ में है। स० १९२३ मे भ० चारुचन्द्रभूषण तथा कोलारस निवासी अग्रवाल मोतलगोत्रीय चौधरी रामकिसन, बन्धु लालीराम तथा ईश्वरलाल के नाम इस में अकित हैं । रि० इ० ए० १९६३-६४ शि० क्र० बी १४२ (६) यह लेख मन्दिर न० २५ मे है । मूलसंघ-कुन्दकुन्दान्वय के भ० राजेन्द्रभूषण तथा लम्बकंचुक अन्वय के उदयराज बन्धु खङ्ग सेन के नाम तथा सं० १९२५ यह स्थापना वर्ष इस मे अकित है। उपर्युक्त, शि० ऋ० बी १४६ (७) यह लेख मन्दिर नं० २३ मे है। मूलसंघ-सेनगण के भ० लक्ष्मीसेन के उपदेश से स० १९३० मे खंडेलवाल सेठ सुपुण्यचन्द्र व पत्नी केसरबाई द्वारा जिनमूर्ति स्थापना का इस मे वर्णन है। उपयुक्त, शि० ० बी १४५

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