Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 56
________________ - १२९] १२७ रामलिंग मुदगड (उस्मानाबाद, महाराष्ट्र) लिपि-१२वीं सदी की, कन्नड इस शिला की एक बाजू में अभयनन्दि भट्टारक का नाम है। दूसरी बाजू में दिवाकरनन्दि सिद्धान्तदेव की निसिधि का उल्लेख है। तीसरी बाजू में कोण्डकुन्दान्वय के कई आचार्यों का वर्णन है । रि०३० २० १९६३-६४ शि० ऋ० बी ३३६ १२८ कोलनुपाक ( नलगोण्डा, आन्ध्र ) लिपि-१२वीं सदी की, कम्मर जैन मन्दिर में रखे एक स्तम्भ पर यह लेख है। श्रीपुष्पसेनदेव यह नाम इस में अकित है। रि० १० १० १९६१-६२, शि० ऋ० वी १०० पूना ( महाराष्ट्र ) लिपि-१२वीं सदी को, संस्कृत-काड नेमिचन्द्र यति द्वारा नेमिनाथमूर्ति की स्थापना का इस पादपीठ में लेख में वर्णन है। रि० ३० ए० १६५७-५८ पृ० ३५ शि० ऋ० बी १५६

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