Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 59
________________ ་• जैन - शिलालेख - सग्रह १४० हिरेकोनति ( धारवाड, मैसूर ) सन् १२४५, कन्नड भाद्रपद शु० ३ रविवार विश्वावसु संवत्सर के दिन कल्याणकीर्ति भट्टारक के शिष्य बम्मय्य के समाधिमरण का यह स्मारक है । तिथि-वार व सवत्सरनामानुसार उक्त वर्ष बताया गया है । रि० ३० ५० १६५७-५८ शि० क्र० बी २८२ १४१ अगरखेड ( बीजापुर, मैसूर ) [ १४० - शक ११७० = सन् १२४८, कन्नड यादव राजा कन्नर के राज्य मे ज्येष्ठ पूर्णिमा शक ११७० कोलक सवत्सर के दिन चन्द्रग्रहण के अवसर पर देशी गण के आचार्यों को मिले हुए दान का इस लेख मे वर्णन है । ( मूल कन्नड में मुद्रित ) सा० इ०६०२० पृ० २६५ १४२ हिरेकोनति ( धारवाड, मैसूर ) सन् १२७१, कन्नड यादव राजा रामचन्द्र के राज्यवर्ष १२ मे ज्येष्ठ व० ११ शुक्रवार प्रजापति सवत्सर के दिन अनतकीर्ति भट्टारक की शिष्या सातिसेट्टि की पत्नी के समाधिमरण का यह स्मारक है । रि० ६० ए० १६५७-५८ शि० क्र० बी २८०

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