Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 70
________________ - १९१] उसकद १ . १ २५८ सोनागिरि ( दतिया, मध्यप्रदेश) सं० १६.. - सन् १९४१, संस्कृत-नागरी यहाँ के मन्दिर नं० ५७ में स्थित पार्श्वनाथभूति के पादपीठ पर यह लेख है । इस में पुष्करगच्छ-भाषभसेनगणघरान्वय के भ० विजयसेन के शिष्य भ० लक्ष्मीसेन तथा रावतचंद व उस की पत्नी केसरबाई के नाम अंकित है। रि०१० ए० १९६२-६३ शि० क. बी ३७४ २५६ राणोद ( शिवपुरी, मध्यप्रदेश) सं० १६७४ - सन् १६१८, संस्कृत-नागरी बाराखम्भा नामक स्तम्भ पर यह लेख है। इस में मूलसंघ-सरस्वतीगच्छ के जसकोति व ललितकीति का उल्लेख है । जहांगीर के राज्य का भी उल्लेख है। रि० ३० ए० १९६१-६२ शि० क्र० सी १५९७ २६०-२६१-२६२ उखलद ( परभणी, महाराष्ट्र) शक १५४१ = सन् १९२०, संस्कृत नागरी जैन मन्दिर में स्थित मूर्तियों के पादपीठो पर ये लेख है। एक लेख में उक्त वर्ष में प्रतिष्ठापक विशालकोति का नाम अंकित है। दूसरे लेख

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