Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 55
________________ - १] येतिनहडि का तात्पर्य अस्पष्ट है-सम्भवतः मर्ति के शिल्पकार का नाम गंगाधर बताया गया है। मूर्ति खड्गासन ४ फुट ऊंची है। चरणो के पास दो चामरषारी है तथा उन के नीचे एक स्त्री व एक पुरुष को आकृतियां ( जो सम्भवत वील्हा व खोद्री की हैं ) अंकित है। उक्त विवरण सम्पादक ने ३०-५-६९ को प्रत्यक्ष दर्शन के अवसर पर अंकित किया था। ११० सोनागिरि ( दतिया, मध्यप्रदेश ) सं० १२४८ = सन् ११९१, संस्कृत-नागरी यहाँ की पहाडी पर मन्दिर नं० ७६ में रखी हुई एक मति के पादपीठ पर यह लेख है । उक्त वर्ष तथा मूर्तिस्थापक साधु सिवराज व उन की पत्नी का इस में उल्लेख है। रि० १० ए० १६६२-६३, शि० ऋ० बी ३६६ १११ येत्तिनहट्टि ( रायचूर, मैसूर ) शक : (१) १ = सन् ११९४, संस्कृत-काड इस लेख मे आश्वयुज ब० ११ मगलवार शक १ (१) १७ आनंद सवत्सर के दिन द्राविळ संघ के अजितसेन मुनि के समाधिमरण का वर्णन है। रि०१० ५० १९६३-६४ शि० क० बी १८७ सवत्सर के दिन आश्वयुज ब० ११ मगलवार

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