Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 53
________________ षधेरा -...] कोरूर गच्छ का यह मन्दिर था। यहाँ के आचार्य का नाम इन्द्रसेन पण्डित तथा मुख्य तीर्थंकर मूर्ति का नाम चेन्नपाश्वदेव था। संपादक के कथनानुसार इस लेख की तिथि गलत प्रतीत होती है । ऊपर इसी स्थान का शक १०८९ का लेख दिया है उसी के आस-पास के समय का यह लेख होना चाहिए क्योकि दोनो में उल्लिखित मन्दिर व माचार्य का नाम एक ही है। ( मूल कन्नड में मुद्रित) आन्ध्रप्रदेश भाकि० सीरीज ३ पृ० ४०-४३ १०५-१०६ सुरपुर खुर्द ( जोधपुर, राजस्थान ) सं० १२३९ = सन् ११७२, संस्कृत-नागरी जैन मन्दिर के दो स्तम्भो पर ये लेख है । धाहड की पत्नी तथा देवघर की माता सूहवा द्वारा उक्त वर्ष मे नेमिनाथ मन्दिर में दो स्तम्भ लगवाये गये तथा इस के लिए १० द्रम्म खर्च हुआ ऐसा इन में कहा गया है। रि० इ० ए० १९६०-६१ शिक०बी ५७०.१ १०७ बघेरा ( अजमेर संग्रहालय, राजस्थान ) सं० १२३१ = सन् ११७५, संस्कृत-नागरी पार्श्वनाथमूर्ति के पादपीठ पर यह लेख है। चैत्र शु० १३ सं० १२३१ इस को तिथि है । माथुर संघ के सादा के पुत्र दूलाक का नाम इस में अंकित है। रि०३० ए० १९५७-५८ शि. क्र० बी ४३०

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