Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 52
________________ जैन - शिलालेख संग्रह १०२ जालोर ( राजस्थान ) सं० १२१७ = सन् ११६१, संस्कृत - नागरी श्रावण व ० १ गुरुवार स० १२१७ के इस लेख में उद्धरण के पुत्र जिसा (लि ) ब द्वारा पार्श्वनाथ मन्दिर मे दो स्तम्भो की स्थापना का वर्णन है । ४८ [ १०२ - रि० ३० ए० १६५७-५८ शि० क्र० बी ४८६ १०३ उज्जिलि ( महबूबनगर, आन्ध्र ) शक १०८९ = सन् ११६७, काय पुष्य शु० १३ शक १०८९ पराभव संवत्सर उत्तरायण संक्रान्ति के दिन राजधानी उज्जिवोळल के बद्दिजिनालय को कुछ करो की आय व भूमि दान दी गयी ऐसा इस लेख में वर्णन है । यह दान महाप्रधान सेनाधिपति श्रीकरण भानुदेवरस - जो कल्ल केळगुनाडु का दण्डनायक था— ने सौधरे केशवय्य नायक की सहमति से आचार्य इन्द्रसेन पण्डित देव को दिया था । ( मूल कन्नड में मुद्रित ) अन्ध्र प्रदेश भाकिं० सीरीज ३, पृ० ४० - ४३ १०४ उज्जिलि ( महबूबनगर, आन्ध्र ) लगभग सन् ११६७, कन्नड मार्गशिर शु० ५ गुरुवार शक ८८८ प्रभव संवत्सर का यह लेख है । इस मे श्रीवल्लभचोळ महाराज द्वारा राजधानी उज्जवोळल के बद्दिजिना - लय के लिए भूमि व उद्यान के दान का वर्णन है । द्राविळ सघ-सेनगण

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