Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 28
________________ ऐहोळे शिंगवरम् (दक्षिण अर्काट, मद्रास ) लिपि-सातवीं सदी की, तमिल इस ग्राम के निकट तिरुनाथर् कुण्रु नामक चट्टान पर यह लेख है। इस मे ५७ दिन के उपवास के बाद चन्द्रनंदि आशिरिगर के दिवंगत होने का वर्णन है। ( मूल तमिल में मुद्रित ) सा०६०६०१७ पृ०१०४ सोनागिरि ( दतिया, मध्यप्रदेश) लिपि-सातवी सदी की, संस्कृत-नागरी यहाँ की पहाडो के मदिर न० ७६ में रखी हुई प्रतिमा के पादपीठ पर यह लेख है। इस मे स्थापना कर्ता का नाम सिंघदेवपुत्र वडाक बताया है। रि० १० १० १६६२-६३, शि० क. बी ३८१ ऐहोळे ( बीजापुर, मैसूर ) लिपि-७वी सदी की, काड (?) यहां के जिन मदिर के पाषाणो पर निम्नलिखित नाम अकित हैं (ये संभवतः यात्रियो के है ) श्रीविण अम्मन् श्रीमानद स्थविर शिष्य श्रीपिण्टवादि महेन्द्र

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