Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 45
________________ - Ba ] तलेखान ४३ 1 देवगढ (झाँसी, उत्तरप्रदेश ) ३३ सं० १ ( 1 ) २६ = सन् १०७०, संस्कृत नागरी मन्दिर नं० १९ मे यह लेख है । सं० १ ( १ ) २६ से ठकुर सोरुक की पत्नी मोहिनी द्वारा पद्मावती मूर्ति की स्थापना का इस में वर्णन है। इस के लेखक का नाम गोपाल पण्डित बताया है । रि० ३० ए० १६५७-५८ शि० क्र० सी ३०४ ४४ तडखेल ( नादेड, महाराष्ट्र ) शक ९९३ = सन् १०७१, कनड मल्लेश्वर मन्दिर मे पडी हुई एक शिल्पाकित शिला पर यह लेख है । पुष्य ब० ५ शुक्रवार शक ९९३ साधारण सवत्सर, उत्तरायण संक्रान्ति के अवसर पर यह दान की प्रशस्ति लिखो गयी थी । चालुक्य सम्राट् भुवनैकमल्ल ( सोमेश्वर २ ) के राज्यकाल मे वाजिकुल के दण्डनायक कालिमय्य ने निगलक जिनालय को कुछ भूमि दान दी तथा दण्डनायक नागवर्मा ने उस के लिए एक उद्यान व तेलघानी दान दो ऐसा इस में वर्णन है । ० ५० ५० १६५८-५६ शि० क्र० बी १६४ रि० ४५ तलेखान ( रायचूर, मैसूर ) शक ९९४ = सन् १०७२, कन्नड उपर्युक्त गांव के पूर्व की ओर २ मील पर एक खेत में यह लेख है । तनकवावि के ऊरोडेय अप्पणय्य द्वारा निर्मित बसदि ( जिनमन्दिर ) के लिए आषाढ शु० ५ शक ९९४ दुन्दुभि संवत्सर के दिन कुछ भूमि दान

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