Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 05
Author(s): Vidyadhar Johrapurkar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 48
________________ - ७२ ] बोधन ६९-७० धर्मपुरी (बीड, महाराष्ट्र ) लिपि - ११वीं सदी की, कन्नड ३९ (१) यह लेख खण्डित है । इस मे यापनीय संघ का तथा प्रशस्ति लेखक के रूप मे ईश्वरभट्ट का उल्लेख है । ( २ ) इसमे यापनीय संघ - वदिपूर गण के महावीर पण्डित को पोट्टलकेरे पंचपट्टण की ओर से कुछ गयी थी । ये पण्डित धर्मपुर की ( बेसकि ) करों की आय अर्पित की सेट्टि बसदि के प्रमुख थे । रि० ३० ए० १६६१-६२, शि० क्र० बी ४६०-१ ७१ ततिकोण्ड ( वरंगल, आन्ध्र ) लिपि - ११ वी सदी की, संस्कृत-कन्नड इस अधूरे लेख में चन्द्रसूरि नयभद्रसूरि तथा मुनिसुव्रत का नामो ल्लेख है । रि० ३० ए० १६५७-५८, पृ० २४, शि० क० बी ४१ ७२ बोधन (निजामाबाद, आन्ध्र ) ११वीं सदी का अन्तिम या १२वीं सदी का प्रारम्भिक माग, संस्कृत-कन्नड किले मे रखे हुए एक स्तम्भ पर यह लेख है । इस मे चालुक्य सम्राट् त्रिभुवनमल्ल के राज्य-काल में एक जिन-मन्दिर को मिले कुछ दानो का वर्णन है । श्रेष्ठिकुल के कुछ लोगो तथा नालिकाविका के नाम भी मिलते है । रि० ६० ए० १६६१-६२, शि० क० बी ११५

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