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जैन-शिलालेख-सग्रह
[७३ -
खजुराहो ( छतरपुर, मध्यप्रदेश )
लिपि-११वीं सदी की, संस्कृत-नागरी जैन मन्दिर मे एक मूर्ति के पादपीठ पर यह लेख है । इस में क्षेत्रपाल वारेन्द्र का नाम अकित है ।
रि० ३० ए० १९६२-६३, शि० क्र० सी १७४०
७४-७५.७६-७७-७८ खजुराहो ( छतरपुर, मध्यप्रदेश) लिपि-19वीं-१२वी सदी की, संस्कृत-नागरी ये पांच लेख है। प्रथम तीन जिनमूर्तियो के पादपीठो पर है । एक में आम्रनन्दि भट्टारक तथा कालसेन-जिनालय के नाम है। दूसरे में आम्र'नन्दि तथा कुलन्धर के पुत्र जिनदास के घरवास-जिनालय के नाम है। तीसरे मे दुर्लभनन्दि के शिष्य रविचन्द्र के शिष्य सर्वनन्दि आचार्य का नाम है। शेष दो लेख जिनमन्दिर के द्वार पर है। इन मे भट्टपुत्र श्रीगोलुण तथा भट्टपुत्र देवशर्मा के नाम अंकित है ।
रि० ५० ५०१६६३.६४, शि० ऋ० सी १६४०. १९४४-४५, १९४७-४८
तंटोली ( अजमेर सग्रहालय, राजस्थान )
स. ११६१ = मन् ११०४, सस्कृत-नागरी एक जिनमूर्ति के पादपीठ पर यह लेख है । फाल्गुन शु. ३ शुक्रवार सं० ११६१ यह इस मूर्ति की स्थापना की तिथि बतायी है तथा श्रेष्ठ धमानाक के लिए बोधि ने यह स्थापित की ऐसा कहा है।
रि० ३० ए० १९५७-५८, शि० क. बी ४१२