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१६२] जैन साहित्य संशोधक
[खंड ३ અહિં એ સમગ્ર પત્રનું ઉદ્ધરણ આપીએ છીએ. ॥ॐ ही श्री अँई नमः॥ एणि मंत्रई वार २१ स्थापना षडी अथवा पूगीफल अभिमंत्री मूकावीइ। जेह बोलनी पृच्छा करई तेह थकु जिहां थापना मूंकइ तेहना तीर्थकरनी फार्टि। पृछाना बोल गणतां जे तीर्थकरनइं फाटिं मूंकइ । तेहनी ते ओली गणवी। पंडितश्री नयविजयगणिशिष्य गणि जसविजय लिखितं ॥ छ ।
श्री सुपार्श्वनाथ
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श्री ऋषभ १ कार्यसिद्धि पृच्छा
व्यापारपृच्छा
श्री पद्मप्रभ
६ ग्रामांतरपृच्छा व्यवहार पृच्छा
श्री सुमतिनाथ ५
ॐ ही श्री
हे नमः
मेघवृष्टि पृच्छा
२ । देश सौख्य श्री अजित | श्री संभव ३
छा। पृच्छा
सेवकपृच्छा श्री श्रेयांश | श्री वासुपूज्य नाथ ११ सेवापृच्छा
ॐ ही श्री
हे नमः
व्याजदान पृच्छा भयपृच्छा
श्री चंद्रप्रभ श्री सुविधिनाथ
चतुःपदपृच्छा
12 belgelt
श्री अभिनंदन ४
श्री शीतलनाथ
श्री विमलनाथ १३
श्री मल्लिनाथ १९ मंत्रविद्यौषधी
12
धारणागति पृच्छा
पृच्छा
जयाऽजय श्रीकुन्थुनाथ श्री अरनाथ १८ वरपृच्छा
ॐ ही श्री अँई नमः
__श्री बाधारूधा पृच्छा पुररोधपृच्छा अनंतनाथ १४, १५
श्री धर्मनाथ
२४ श्री पार्श्वनाथ | श्री महावीर
। आगंतुक पृच्छा गतवस्तुपृच्छा
२३
ॐ ह्री श्री अँहे नमः
पृच्छा अथेचिंता पृच्छा २०राज्यप्राप्तिा २१ | श्री मुनिसुव्रत | श्रीनमिनाथ
कन्यादान पृच्छा
संतानपृच्छा
२२
श्री शांतिनाथ
श्री नेमिनाथ
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