Book Title: Jain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granth Bhandar

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Page 9
________________ (ऊ) ३७. महावीर स्वामीपर गोशालकका तेजोलेश्या रखना ३९८-४०३ ३८. सिंह अनगारकी शंका ... ४०३-४०४ ३९. प्रभुका सिंहके आग्रहसे औषध लेना ... ४०४-४०५ ४०. राजर्षि प्रसन्नचंद्रको दीक्षा ४०५-४०८ ४१. केवलज्ञानका उच्छेद ४०८-४०९ ४२. मेंडकसे देव ... ... ४०९-४११ ४३. साल राजाको दीक्षा ४११४४. अंबड सन्यासीका आगमन... ४१२४५. राजा दशार्णभद्र ४१३-४१४ ४६. धन्ना, शालिभद्र आर रोहिणेय चोरको दीक्षा ४१४-४१५ ४७. राजा उदयनको दीक्षा ... ... ४१६ ४८. अंतिम राजर्षि कौन होगा? ... ४१६ ४९. अभयकुमार हल्लविहल्ल और श्रेणिककी पत्नियोंको दीक्षा ४१६-४१७ ५०. राजा हस्तिपालके स्वमोंका फल और उसे दीक्षा ४१८-४२१ ५१. कल्कि राजा ४२१-४२५ ५२. तीर्थकर विचरते हैं तब कैसी हालत रहती है ? ४२६ ५३. पाँचवाँ आरा ___ ... ... ४२६-४२८ ५४. छठा आरा ४२९-४३० ५५. उत्सर्पिणी कालके आरे ... ... ४३०-४३३ ५६. केवलज्ञानका और त्रिविध चारित्रका उच्छेद ४३४ ५७. मोक्ष ... ... ... ४३५-४२७ ५८. दीवाली पर्व ... ... ... ४३८-४३९ ५९. गौतम गणधरको ज्ञान और मोक्षलाभ ४३९-४४० २८. तीर्थकरोंके संबंधकी जानने योग्य जरूरी बातें ४४१-४५३ २९. जैन दर्शन ... ... ... ४५४ . भाग Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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