Book Title: Jain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra Author(s): Krushnalal Varma Publisher: Granth Bhandar View full book textPage 8
________________ (उ) ११. दूसरेके दुःखका खयाल (अच्छंदककी कथा) ३२५-३२६ १२. चंडकौशिकका उद्धार ... ... ३२६-३३४ १३. सुदंष्ट्र नागकुमारका उपद्रव ... ३३४-३३५ १४. पुण्यको दर्शनसे लाभ, नालंदामें दूसरा चौमासा ३३६-३३९ १५. चंपानगरीमें तीसरा चौमासा ३३९-३४१ १६. पृष्ठ चंपामें चौथा चौमासा ... ३४१-३४४ १७. भद्दिलपुरमें पाँचवाँ चौमासा ३४५१८. भद्रिकामें छठा और आलभिकामें सातवाँ चौमासा ३४७-३४८ १९. राजगृहमें आठवाँ और म्लेच्छ देशोंमें नवाँ चौमासा ३४९ २०. गोशालाका परिवर्तवाद ... ... ३४९-३५० २१. गोशालकको तेजोलेश्याकी विधि बताई ३५१-३५२ २२. श्रावस्तीमें दसवाँ चौमासा ३५३-३५४ २३. संगमदेव कृत २० उपसर्ग... ३५४-३५१ २४. वैशालीमें ग्यारहवाँ चौमासा ३५९-३६४ २५. चंपानगरीमें बारहवाँ चौमासा ३६४-३६५ २६. कानोंमें कीलें ठोकनेका उपसर्ग ३६५-३६६ २७. केवलज्ञानकी प्राप्ति और दस आश्चर्य... ३६७-३६८ २८. उपसर्गोंके कारण और कर्ता और की ... ३६९-३७० २९. उपमाएँ ... ... ... ३७१-३७३ ३०. महावीर स्वामीने कितने तप-उपवास किये? ३७३-३७६ ३१. महावीर स्वामीको विद्वान शिष्योंकी प्राप्ति ३७७-३८८ ३२. राजा श्रेणिकको प्रतिबोध... ३८८-३९० ३३. ऋषभदत्त, देवानंदा और जमालीको दीक्षा ३९०-३९३ ३४. महावीरके प्रभावसे शत्रुओमें मेल .... ३९३-३९६ ३५. चोरोंके सर्दारको दीक्षा ... ... ३६. दस श्रावकः : ... ... .... ३९७-३९८ ३९६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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