Book Title: Jain Dharm aur Vividh Vivah Author(s): Savyasachi Publisher: Jain Bal Vidhva Sahayak Sabha View full book textPage 7
________________ ( ५ ) अर्थात्-दूसरे गोत्र में पैदा हुई, नीरोग, अच्छे लक्षण वाली, श्रायुष्मती, गुणशालिनी और पिता के द्वारा दी हुई कन्या को वरण करे । यदि कन्या बीमार हो, या वह जल्दी मर जाय, तो क्या उसका विवाह अधर्म कहलायगा ? जिस कन्या का पिता मर गया हो तो उसे कौन देगा और क्या उसका विवाह अधर्म कहलायगा? यदि यह कहा जाय कि पिता का तात्पर्य गुरुजन से है तो क्या यह नहीं कहा जा सकता कि कन्या का तात्पर्य विवाह योग्य स्त्री से है ? कुमारी के अतिरिक्त भी कन्या शब्द का प्रयोग होता है। दि० जैनाचार्य श्रीधरसेनकृत विश्वलोचन कोष में कन्या शब्द का अर्थ कुमारी के अति. रिक्त स्त्री सामान्य भी किया गया है । 'कन्या कमारिका नार्यो राशिभेदोषधीभिदोः।' (विश्वलोचन, यान्तवर्ग, श्लोक ५ वाँ)। इसी तरह पद्मपुराण में भी सुग्रीव की स्त्री सुतारा को उस समय कन्या कहा गया है जब कि वह दो बच्चों की मां हो गई थी। 'केनोपायेन तां कन्यां लप्स्ये निवृतिदायिनी ॥' सुतारा को कन्या कहने का मतलब यह है कि साहसगति विद्याधर उसे अपनी पत्नी बनाना चाहता था । धर्म संग्रह श्रावकाचार में देवाङ्गनाओं को भी कन्या कहा है एवं चतुर्थ वीथीषु नृत्यशालादयः स्मृताः । परमत्र पनत्यंति वैमाना मरकन्यकाः ।। देवाङ्गनाओं को कन्या इसी लिए कहा जाता है कि वे एक देव के मरने पर दूसरे देव की पत्नी बन सकती हैं । अगर कन्या शब्द का अर्थ कुमारी ही रक्खा जावे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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