Book Title: Jain Dharm aur Vividh Vivah
Author(s): Savyasachi
Publisher: Jain Bal Vidhva Sahayak Sabha

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Page 51
________________ ( १६ ) प्रन्थों में कुमारी-विवाह का उल्लेख सिर्फ वहीं हुआ है जहाँ पर कि विवाह का सम्बन्ध किसी महत्वपूर्ण घटना से हो गया हैं । जैसे सुलोचना के विवाह का सम्बन्ध जयकुमार अर्ककीर्ति के युद्ध से है, सीता के विवाह का सम्बन्ध धनुष चढ़ाने और भामंडल के समागम से है इत्यादि । बाकी विवाहों को कुछ पता ही नहीं लगता; सिर्फ स्त्रियों की गिनती से उनका अनुमान किया जाता है। प्रचीन समय में कुमारी विवाहों में किसी किसी विवाह का सम्बन्ध किसी महत्वपूर्ण घटना से हो जाता था इस लिये उनका उल्लेख पाया जाता है। परन्तु विधवा विवाह में ऐसी महत्वपूर्ण घटना की सम्भावना नहीं थी या घटना नहीं हुई इस लिये उनका उल्लेख भी नहीं हुआ । शास्त्रों में सिर्फ महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख मिलता है। महत्वपूर्ण घटनाएं अच्छी भी हो सकती हैं और बुरी भी हो सकती हैं। इसीलिये परस्त्रीहरण आदि बुरी घटनाओं का भी उल्लेख है। बुरे कार्यों को निन्दा और उनका बुरा फल बतलाने के लिये यह चित्रण हुआ है। अगर विधवाविवाह भी बुरी घटना होती तो उसका पाप फल बत. लाने के लिये क्या एक भी घटना का उल्लेख न होता। इससे साफ़ मालूम होता है कि विधवाविवाह का अनुल्लेख उसकी बुराई को नहीं, किन्तु साधारणता को बतलाता है । जब शास्त्रों में परस्त्रोहरण और बाप बेटी के विवाह का उल्लेख मिलता है (देखो कार्तिकेय स्वामीकी कथा-आराधना कथा. कोष में) और उनकी निन्दा की जाती है,किन्तु विधवाविवाह का उल्लेख उसकी निन्दा करने और दुष्फल बताने को भी नहीं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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