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( ४३ ) उत्तर-क्यों न रहेगी? यह बात तो उन्हें भी स्वीकार करना चाहिये जो स्त्रियों के पुनर्विवाह के विरोधी हैं, क्योंकि उन लोगों के मत से विवाह भागम की विधि से होता है। बलात्कार में आगम की विधि कहाँ है ? इस लिये वह विवाह तो है नहीं और अविवाहित कन्या को तो सभी के मत से विवाह का अधिकार है । रही बलात्कार की बात सो उसका दंड बलात्कार करने वाले पापी पुरुष को मिलना चाहिये-बेचारी कन्या को क्यों मिले ? कुछ लोग यह कहते हैं कि “यदि बलात्कार करने वाला पुरुष कन्या का सजातीय योग्य हो तो उसी के साथ उस कन्या का पाणिग्रहण कर देना चाहिये; अन्यथा कन्या जीवनभर ब्रह्मचारिणी रहे।" जो लोग बलात्कार करने वाले पापी, नीच, पिशाच पुरुष को भी योग्य समझते हैं उनकी धर्मबुद्धि की बलिहारी ! ब्रह्मचर्य पालना कन्या की इच्छा की बात है, परन्तु अगर वह विवाह करना चाहे तो धर्म उसे नहीं रोकता । न समाज को ही रोकना चाहिये । जो लोग पुनर्विवाह के विरोधी हैं उनमें अगर न्याय बुद्धि का अनंतवाँ हिस्सा भी रहेगा तो वे भी न रोकेंगे क्योंकि ऐसी कन्या का विवाह करना पुनर्विवाह नहीं है।
प्रश्न (२६)--त्रैवर्णिकाचार से तलाक के रिवाज का समर्थन होता है । क्या यह उचित है ?
उत्तर-दक्षिण प्रांतमें तलाक का रिवाज है इसलिये सोमसेन ने इस रिवाज की पुष्टि की है। वे किसी को दसवें वर्ष में, किसी को १२ वे वर्ष में, किसी को पंद्रहवें वर्ष में, तलाक देने की ( छोड़ देने की ) व्यवस्था देते हैं । जिसका बोलचाल अच्छा न हो उसको तुरंत तलाक देने की व्यवस्था
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