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जैन-धर्म
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कोई उद्देश्य व आदर्श नहीं हो सकता, जो संसार को भीषण अशान्ति की ज्वाला में भस्म किये बिना नहीं रहेगा । क्या दुनियां अशान्ति की भीषण ज्वाला में जल २ कर नष्ट होने के लिए तैयार है ? यदि नहीं तो प्राणीमात्र को अपना बन्धु समझते हुए हिंसा का हृदय से पालन कर एक नवीन विश्व का निर्माण करो, जिसमें सब लोग एक कुटुम्ब की तरह हिलमिल कर प्रेम के साथ जीवन व्यतीत करते हुए पूर्ण स्वतन्त्रता और सुख के मार्ग पर अग्रसर हों, इसी में प्राणीमात्र का हित और संसार का भला है।
यह है जैन धर्म और उसका पवित्र संक्षिप्त उद्देश्य, जो मनुष्य ही नहीं, प्राणीमात्र को सच्चा सुख प्रदान करने के वैज्ञानिक पवित्र आदर्श को लेकर न जाने कितने युगों से भगवान् महावीर जैसी विभूतियों द्वारा समय २ पर फूले और फले हैं, तथा आज भी विश्व कल्याण की उच्चतम भावना के साथ इस वर्तमान भीषण अशान्ति की गोद में खेलते हुए दुःखी संसार में स्थायी शान्ति स्थापित कर प्राणीमात्र को सुख प्रदान करने की पूर्ण और अचूक शक्ति रखते हैं ।
क्या दुनियां शान्त हृदय से निष्पक्ष बन कर विवेक के साथ इसके उक्त पवित्र संदेश को सुनने के लिए तैयार है ? यदि वह सुख व शान्ति को दिल से चाहती है तो हमारा यह दृढ़ विश्वास है कि उसे आज या कल, उक्त संदेश को सुनने और उस पर अमल करने के लिये तैयार होना ही पड़ेगा ।
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