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अतीत की झलक
पिता
विभिन्न दृष्टिकोणो अथवा आगिक सत्यो का समन्वय करना ही अनेकान्त है।
महावीर और बुद्ध महावीर का विशेप सामना बुद्ध से हुआ। बुद्ध शाक्य गोत्रीय थे। शुद्धोधन महाराज के पुत्र थे, वे भी तपस्वी बने, उन्हें ज्ञान भी प्राप्त हुआ, उपदेशपरम्परा द्वारा उन्होने भी अपने को अरिहन्त बताया। महावीर और वुद्ध की तुलना इस प्रकार की जा सकती है :महावीर
वुद्ध सिद्धार्य
शुद्धोधन माता विगला
महामाया गोत्र कश्यप
कश्यप ग्राम क्षत्रियकुडग्राम
कपिलवस्तु जात जात
शाक्य जन्म सवत् ई० पू० ५९६
ई० पू० ६०० स्त्री यशोदा
यशोधरा सतान प्रियदर्शना (पुत्री) राहुल (पुत्र) दीक्षा ५६६ (३० वर्ष की उम्र मे) ५७१ (२६ वर्ष की उम्र मे) आदितप १२ वर्ष ज्ञान प्राप्ति
ऋजुवालुका तट निर्वाण वि० स० से (५२७) वर्ष पूर्व वि० स० ५२० वर्ष निर्वाण स्थान मध्यम अपापा (पावापुरी) कुशी नगर आयुष्य ७२ वर्प
८० वर्प महाव्रत पाच महाव्रत
पाच शील सिद्धान्त अनेकान्तवाद
क्षणिकवाद (विभज्यवाद) महावीर, और बुद्ध में समानता और विभिन्नता
जहा कुछ विभिन्नताए है, वहा भगवान् महावीर और बुद्ध मे समानखाए भी है।
अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, तथा अपरिग्रह और तृष्णा निवृत्ति आदि
६ वर्ष
का स्थान
गया