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जैन-शिष्टामार
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में कार्तिक, फाल्गन और आपाढ़ मास के अन्तिम पाठ दिनो मे सिद्ध भगवान् की आराधना तथा स्वाध्याय रूप धार्मिक क्रियाएँ उत्साह के साथ की जाती है ।
श्वेताम्बर सम्प्रदाय मे चैत्र और असौज मे सप्तमी से पूनम तक ६ दिन आयंबिल तप की साधना की जाती है। हजारो जैन भाई और बहिन प्रायम्बिल तप करते है। प्रायम्बिल तप का अर्थ है अम्ल रस से रहित भोजन, जिसमे रस, गव, स्वाद, घृत, दुग्ध, छाछ प्रादि किसी भी प्रकार से मिश्रित नही किया जाता है। जैन वर्ग की प्रास्वाद माधना का यह बहुत विचित्र और उपयोगी उपक्रम है।
भुत पंचमी-दिगम्बर सम्प्रदाय मे इस पर्व को आचार्य पुष्पदन्त और भूतवलि के द्वारा निर्मित “पट् ग्वण्डागम" नामक सिद्धान्त ग्रन्थ की परिसमाप्ति के रूप में और स्वाध्याय प्रेरणा मे इसे मनाया जाता है। ज्येष्ठ शु० पचमी को उन्होने यह ग्रन्य सघ को समर्पित किया था, साधिक सम्मान श्रुत ज्ञान के प्रति बढे, यही इसका उद्देश्य है।'
श्वेताम्वरो मे श्रुत पञ्चमी कात्तिक शुक्ला पचमी को मनाई जाती है। श्रताराधना और श्रुत ज्ञान के प्रति अटूट निष्ठा तथा विनय प्रकट करना ही इसका उद्देश्य है।
महावीर जयन्ती-चैत्रगुक्ला त्रयोदशी के दिन श्रमण भगवान् महावीर की जन्म जयन्ती जैन समाज मे धूमधाम के साथ मनाई जाती है। इस वर्ष तो महावीर जयन्ती, अमेरिका, इगलैण्ड आदि में भी मनाई जाने लगी है। इस दिन विशाल समारोह के साथ चौवीसवे तीर्थकर महावीर के जीवन, सिद्धान्त तथा दर्शन तथा धर्म के विषय मे मनन किया जाता है। उत्सव, जलूस, भापण आदि का रोचक रूप से कार्यक्रम रहता है। आजकल महावीर जयन्ती राष्ट्रीय तथा अन्तराष्ट्रिीय रूप धारण करती जा रही है।
इसी प्रकार अन्य २३ तीर्थकरो की सामान्यतया जयन्तियाँ मनाई जाती है ।
बीपावली-श्रावण पूर्णिमा, दगहरा, दीपावली तथा होली भारत के राष्ट्रीय पर्व है। चारो वर्णों के अनुसार प्रत्येक पर्व का एक-एक व्यावहारिक और वार्मिक सन्देश है। क्रमश. जैसे कि जान, क्षात्रत्व, लक्ष्मी और मनोरजन तथा
१. स्येष्ठसित पक्ष पंचम्यां चातुर्वर्ण्य संघ संभवतः ।। सत्पुस्तकोपकरण य॑मात् क्रियापूर्वकं पूजाम् ॥ १४३
(इन्द्रनन्दि श्रुतावतार)