Book Title: Jain Bhajan Shataka Author(s): Nyamatsinh Jaini Publisher: Nyamatsinh Jaini View full book textPage 7
________________ - -. - - - अयदिल बता दो किस से तू नाता रखायगा ।। टेक ॥ यह भाई बन्धु जो तुझे करते हैं आज प्यार । जब आन बने कोई नहीं काम आयगा ॥१॥ यह याद रख कि सब है तेरे जीते जीके यार । : आखिर तु अकेलाही मरण दुख उठायगा ॥२॥ सब मिलके जलादेंगे तुझे जाके आगमे। एक छिनकी छिन में तेरा पता भी न पायगा ।। ३ ।। कर घात आठ कर्मों का निज शत्रु जानकर। बे नाश किये इनके तू मुक्ती न पायगा ॥ ४ ॥ अवसर यही है जो तुझे करना है आज कर । फिर क्या करेगा काल जो मुंह बाके आयगा ॥ ५॥ अय न्यायमत उठ चेत क्यों मिथ्यात में पड़ा। जिन धर्म तेरे हाथ यह मुश्किल से आयगा ॥६॥ - - - तर्ज़ नाटक ॥ सुनले बीवी वाते मेरो कान लगाकर तू भटपट ॥ क्या सोते हो मोह नींद में रेल मौत की आती है। लाइन किलयर आ पहुंचा है घंटी शब्द सुनाती है। टेक ॥ नेक चलन का टिकट खरीदो, कहां जाना है मुखसे कहदो। प्लैटफार्म पर जल्दी आवो, टिकट अब काटी जाती है ॥ १॥ धरम सार सामान उठावो, शिवपुर की बिल्टी करवावो । न्यामत मतना देर लगाओ, गाड़ी छोड़ी जाती है ॥ २ ॥ % 3D -Page Navigation
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