Book Title: Jain Bhajan Shataka
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 32
________________ - - - - - । - - ( २८ ) हटा हिंसा किया तुमने दयामय धर्म को जारी। न्यायमत जाय बलिहारी है दुनिया यश तेरा गाती ॥७॥ ४२ तर्ज | बंटी लाने का कैसा बहाना हुआ। (भद्रकाली भीलनी का अपने पति को मुनौका शिकार करने से रोकना और __ भीलका मुनों के चरणों में गिरना और महावीर का अवतार लेना) कैसा त्यागी का तुमने निशाना किया । कैसे० ॥ मुझको रुसवाय सारा जमाना किया ॥ कैसे० ॥ टेक ।। यह बैरागी महान । नहीं क्रोध और मान । करें आतम का ध्यान । तजे महलो मकान ॥ आके जंगल में अपना ठिकाना किया ॥ कैसे० ॥१॥ दान मुक्ती का सार । सारे नर और नार ।। मांगे हाथ पसार । करे सबका उपकार ॥ नहीं छोटे बड़े का बहाना किया। कैसे० ॥ २॥ इनको मृगीन जान । ऐसा होके अयान । मत बचे कमान । मत खो इनकी जान । कैसे दिलसे दया को रवाना किया ॥ कैसे० ॥ ३॥ सच जानो सुबीर । होगी नकों में पीर ।। मेरे मनको न धीर । मैं तजूंगी शरीर ॥ तुम जो जोगी का इस दम निशाना किया ॥ कैसे०॥४॥ सुनके भील सुजान । डरा मन में अज्ञान॥ डारे तीरो कमान । जंगा हृदय में ज्ञान ॥ भद्रकाली को लेकर पयाना किया ॥ कैसे०॥५॥ . % 3D - - - D

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