Book Title: Jain Bhajan Shataka
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 73
________________ ( ६९ ) मात पिता परिवार सब हैं झूठे मन आन || धर्म० ॥ १ ॥ धन जोबन थिर ना रहै रहेना तेरी काय । कोट से रहे तू किस गर्भाय ॥ धर्म० ॥ २ ॥ भीम और अर्जुन मेरे बल और कृष्ण मुरार । कंस जरासिंधु नारहे करते गर्व अपार || धर्म० ॥ ३ ॥ सदा नहीं रावण रहा नील और हनुवंत । राम और लछमन मेरे इन्द्रजीत बलवंत ॥ धर्म० ॥ ४ ॥ यूं लख मन थिर्ता घरो करलो पर उपकार । सार जगत में है यही न्यामत देख विचार || धर्म० ॥ ५ ॥ ९९ तर्ज || आहा प्यारा दिन है न्यारा शाहजादे की शादी का आहा प्यारा दिन है न्यारा जनम ऋषभ जिनआदी का सब शचियन मिल मङ्गल गावें दिन है मुबारकबादी का ॥ टेक ॥ स्वर्ग मंझारी हुई तैय्यारी आए सब झननन झूम | धनपति ऐरावत रच लाए घननन नन नन घूम || आहा० १ सब सुरनारी दे दे तारी नाचै छननन छूम । ताल मंजीरे बीन बांसुरी बज रही तन नन तूम || आहा० ॥२॥ जल थल बनबन आनंद घनघन छाए घन नन घूम । सुखरस बूंदें रिम झिम बरसै झनं नन नन नन झूम ॥ आहा० ॥ ३ ॥ सब दुख टारे पाप निवारे दया धरम की धूम | जय जय कार मची तिहुं जगमें धन धन भारत भूम | आहा०||१४||

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