Book Title: Jain Bhajan Shataka
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 75
________________ ( ७१ ) नोटिस निम्न लिखित भाषा छंद वद्ध चरित्र प्राचीन जैन पंडितोंने रचेथे जिनको अव संशोधन करके मोटे काग़ज़ पर मोटे मक्षरों में सर्व साधारण के हितार्थ छपवाया है सब भाइयोंको पढ़कर धर्म लाभ उठाना चाहिये यह दोनो जैन शास्त्र स्त्री पुरुषोंके लिये बड़े उपयोगी हैं, इनको कविता प्राचीन है और सुन्दर हैं ॥ दोनो शास्त्र जैन मंदिरों में पढ़ने योश हैं: (१) भविसदत्त चरित्रः --- यह जैन शाल श्रीमान् पंडित बनवारी लालजी जैन ने | सम्बत् १६६६ में कविता रूप चौपाई मादि भाषा में बनाया था जिसको कई प्रतियों द्वारा मिलान करके शुद्धता पूर्वक छपवाया है और कठिन शब्दोंका अर्थ भी प्रत्येक सुके के नीचे लिखा गया है इसमें महाराज, भविसदत्त और सती कमलश्री व तिलकासुन्दरी का पवित्र चरित्र भले प्रकार दर्शाया गया है । सजिल्द मूल्य २) (२) धन कुमार चरित्रः -- यह जैन शास्त्र श्रीमान् पंडित खुशहाल चन्द जी जैन ने कविता रूप चौपई आदि भाषा में रचा था इसको भी भले प्रकार संशोधन करके छपवाया है इसमें श्रीमान् धनकुमार जी का जीवन चरित्र मच्छी तरह दिखाया गया है । सजिल्द मूल्य ११) ( ३ ) नमोकार मंत्र: - फूलदार बढ़िया मोटा काग़ज़ सू० ) पुस्तक मिलनेका पता: बा० न्यामतसिंह जैनी सेक्रेटरी डिस्टिरिक्ट बोर्ड हिसार । . मु० हिसार ( जिला खास हिसार ) ( पंजाब )

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