Book Title: Jain Bhajan Shataka
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 59
________________ - - जूल खर्ची कारणे बढ़ा पाप अति घोर । | काल प्लेग अब हिन्द में छाय गया चहुं ओर ।। हुआ भारत गारत प्यारे । फजूल०॥ ७ ॥ अब तो आंखें खोलिये भारत सुत परवीन । नहिं दो दिन में देखना हों कोड़ी के तीन । कहे न्यामत हित की प्यारे । फजूल० ॥८॥ - - - इति चतुर्थ बाटिका समाप्तम् ॥ - - - - - - - - - - - - -

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