Book Title: Jain Bhajan Shataka Author(s): Nyamatsinh Jaini Publisher: Nyamatsinh Jaini View full book textPage 5
________________ mom EMS aro R - D EAR ARD श्री जिनेन्द्रायनमः जैन भजन शतक (अर्थात जैनपद वाटिका) - प्रथम बाटिका - %3 - तर्ज ॥ रघुबर कौशल्या के लाल मुनी को यज्ञ रचाने वाले ॥ भगवन मरुदेवी के लाल मुक्ति की राह बताने वाले ॥ राह बताने वाले सबका भ्रम मिटाने वाले । भगवन० ॥ टेक लीना अवधपुरी अवतार, छागयो जगमें आनन्दकार। बोले सुरनर जय जयकार, सारे जिन गुण गाने वाले ॥१|| जगमें था अज्ञान महान, तुमने दिया सबों को ज्ञान । करके मिथ्यामत को भान, केवल ज्ञान उपाने वाले ॥ २॥ तुमने दिया धरम उपदेश, जामें राग द्वेष नहीं लेश। तुम सतब्रह्मा विष्णु महेश, शिव मारग दर्शाने वाले ॥३॥ जग जीवन पे करुणाधार, तुमने दिया मंत्र नवकार । जिससे होगये भवदधि पार, लाखों निश्चय लाने वाले ॥४॥ (१) - - - - -Page Navigation
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