Book Title: Jain Bhajan Shataka
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 17
________________ - - - (१३) जिनके दया हृदय नहीं है सब झूठा तूफान ।। निमाज औररोजा और ईमान । यूंही करके दुख पाते हो॥३॥ सबके जीव जान अपनी सम और करुनामन धार । वेद कुरान पुराण सबों का समझो यह ही सार ।। | दया बिन नहीं होगा कल्याण जनम बिर्थाही गमाते हो ॥४॥ कर पूजा मंदिर में घड़ी घड़ियाल बजाते हो। जो दिलमें नहीं दया यू ही पाखंड रचाते हो ॥ प्रभू को है सबही का ज्ञान । उसे क्या धोका दिखाते हो ॥५॥ हिंसाही से होता है इस दुनियां में दुख पाप । काल फूट और प्लेग समझ लो हिंसा का परताप ॥ रसातल जाता हिन्दुस्तान । दया चितमें नहीं लाते हो ॥६॥ राग द्वेषं को छोड़ न्यायमत तज दो हिंसक भाव। . दया धरम मनमें भजो सब क्या जोगी क्या राव ।। दया से हो सबका कल्याण । जो भारत सुत कहलाते हो ॥७॥ . ॥ इति प्रथम बाटिका समाप्तम् ॥ - D - .. . .. Team - -

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