Book Title: Jain Bhajan Shataka
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini
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(१५) बनाय गुल कलियां, बनाय गुल कलियां, मनावोरी अरि० ॥१॥ गावो बजावो हाव भाव दिखायो। जय जय जिनेन्द्र, सुनावो रल मिलियां, सुनावोरल मिलियां, सुनावो रल मिलियां, मनावोरी अरि०॥२॥ छम छम छम छम, नाच नचावो। '' तालि बजावो, बजावो मन भरियां । बजावो मनभरियां बजावो मनभरियां, मनावोरी अरि० ॥३॥ मुक्ति,चिदानन्द नाटक रचायो । . कर्मों की धूल, उड़ावो गलि गलियां। . उड़ाओगलिंगलियां उड़ाओगलिगलियां, मनावोरी अरि०४|| अमृत प्रभावना, दिया जैन बाणी। . पीवो पिलावो, दिखायं छल बलियां । | दिखाय छल बलियां, दिखायं छल बलियां मनावोरी अरि० ॥५॥
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तर्ज ॥ सोरठ'अधिक स्वरूप रूपका दिया म जागा मोल ॥ | अरे हिंसा का है फल भारी तेरे से सहा नजागा भार ॥ टेक।
चोरी झूठ कुशील परिग्रह हिंसा अंग बिचार। इनसे दुर्गति होवे नर्क में पड़े अनंती बार ॥ १ ॥ सारे जीव जान अपनी सम और करुणा मन धार। जाकी हिंसा तू करे वह तो अपनी आप निहार ॥२॥ हो हिंसा से निर्धन निर्बल नित दुख सबै अपार। न्यामत तज हिंसक भाव भावसे करले पर उपकार ॥३॥
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