Book Title: Gandharwad Author(s): Bhuvanbhanusuri Publisher: Divya Darshan Trust View full book textPage 9
________________ आवारक व्यंजक नहीं, ज्ञान नियामक ? अथवा प्राण? मृत्यु होने पर वातपित्तादि सम-विकार : साध्य अथवा असाध्य ? वस्तु में दीखता धर्म अन्य का कैसे ? आत्मा इन्द्रिय से भिन्न क्यों ? शरीर कर्ता नहीं परन्तु कर्म कर्ता: क्षणिक वादि की त्रुटियां : योग - उपयोग - लेश्या आदि का देह के साथ मेल नहीं चतुर्थ गणधरः व्यक्त पंचभूत सत् या असत् ? सर्वशून्यता के पांच तर्क सर्वशून्यता का खंडन असत् का संदेह नहीं, संदेह हो वह ज्ञानपर्याय : स्वप्न स्वयं असत् नहीं स्वप्न अस्वप्न सत्य असत्य आदि भेद क्यों ? मृगजल का ज्ञान स्वयं असत् नहीं वस्तु परस्पर सापेक्ष नहीं किन्तु स्वत: सिद्ध हैं । वस्तु के दो स्वरूपः सापेक्ष-निरपेक्ष स्वपर का भेद सर्वशून्यता में घटित नहीं : वस्तु १. स्वतः सिद्ध २. परतः सिद्ध, ३. उभय सिद्ध, ४. नित्यसिद्ध वस्तु और अस्तित्व का सम्बन्ध शून्यवादी का ज्ञान, वचन सत् या असत् कौन जन्मे १. उत्पन्न, २. अनुत्पन्न, ३. उभय, ४. उत्पद्यमान उत्पादक सामग्री घटित हो सकती है । शून्यता का वचन सत्य या मिथ्या ? तिलमें से ही तेल, वालू में से क्यो नहीं ? अग्रभाग कहने से ही परभाग सिद्ध सर्वशून्य में अग्र पर क्या ? संशय सत् का या असत् का ? पंच-भूत और पांच स्थावर कार्य की सिद्धि हिंसा अहिंसा कहां ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 98