Book Title: Gandharwad
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 41
________________ काजल, व आँख की पलक । (२) अति दूर जैसे रेल्वे पर दूरस्थ तार के स्तम्भ आँखों के सामने होते हुए भी दिखाई नहीं देते । ( ३ ) अति सूक्ष्म, जैसे परमाणु या रोशनदाने की किरण में उड़ती हुई रज ईतनी अधिक सूक्ष्म होती है कि किरण न हो तो उड़ती हुई भी नहीं दीखती । ( ४ ) इस तरह मन स्थिर न हो तो दर्शन के समय मूर्ति पर मुकुट है या नहीं ? चक्षु बराबर संतुलित है या नहीं ? पूजा लाल केसर की ? या पीले की है ? .' आदि बातों का ध्यान रहता नहीं । ऐसे अन्य भी कारण है कि वस्तु होते हुए भी दिखाई नहीं देती, वे ये **** किन कारणों से वस्तु होने पर भी ध्यानमें नहीं आती न दिखाई देती वस्तु पलक, आँखों में काजल रेलवे लाइन पर खड़े तार के स्तम्भ रोशनदान की किरण में दिखाई देने वाली रज कारण अति निकट अति दूर अति सूक्ष्म मन की अस्थिरता अशक्य इन्द्रियमंदता मतिमंदता सोने के टंच, मोती का पानी आवरण ढंकी हुई वस्तु पराभव सूर्य के तेज में तारे स्वभाव आकाश, पिशाच समान वस्तु में मिलना मूंग और राई में फेंके हुए इन्हीं के दो चार दाने अन्य लक्ष्य रूप देखते र विस्मरण दर्शन -लब्धि के नाश से गलत समझ या व्युद्ग्रह मोह मिथ्यात्व वृद्धावस्था, सन्निपातादि किरण बिना दर्शन समय मूर्ति पर मुकुट था या नहीं ? Jain Education International स्व कान, सिर चश्मे के बिना अक्षरादि १० वर्ष पूर्व देखी हुई अंधे को कुछ भी पटेल के सोने के जेवर देखने के बाद ऐसे ही जीवादि तत्त्व पूर्व में कई बार परिचय होने पर भी वैसी बिमारी आदि में वही वस्तु ३० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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