Book Title: Gandharwad
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 43
________________ मोक्ष में गए हुओं को भी अनिमित्तक कर्म क्यों न जन्में ? अथवा कर्म सदा ही जन्म लिया करें ! जिससे कभी किसी का मोक्ष ही न हो । अन्य विकल्प, कर्म को जन्म देने वाले ३ निमित्तः या तो कर्म ( १ ) हिंसा से जन्में, (२) राग द्वेष से जन्में, अथवा ( ३ ) कर्म से जन्में | पत्यक्ष में कई खंजर, कटार, कृपाण आदि से क्रूरता पूर्वक पशुओं के टोले के टोले काटने कटवाने वाले सुखी क्यों दिखाई देते हैं ? हिंसा से ये तो भयंकर पाप बंधन में फंसते हैं, तो ये महादुःखी होने चाहिए । इसके विपरीत, जो लोग जिनेश्वरदेव के पद पंकज की पूजा में परायण रहते हैं और चींटी की भी हिंसा नहीं करते, वे क्यों दरिद्रता के उपद्रव से पीड़ित दिखाई देते है ? अहिंसा से तो सुख होना चाहिये । कर्म हिंसा से जन्म लेते हों, - ऐसी बात यहाँ ठीक नहीं बैठती । यह कहें कि 'राग-द्वेष से जन्म लेते हैं' तो राग-द्वेष किससे उत्पन्न होते हैं ? यदि कर्म से, तो इसी कर्म से नहीं कह सकते । पूर्व कर्म से कहें तो मोक्ष ही उड़ जायगा, क्योंकि राग-द्वेष से कर्म और कर्म से राग-द्वेष... इस प्रकार परम्परा चलती ही रहेगी, और मोक्ष नहीं, तो शास्त्र निरर्थक ! अगर कर्म से कर्म उत्पन्न कहें, तो कर्म से कर्म - परम्परा जैसे अनादि से चली आई, वैसी ही भविष्य में भी चलती ही रहेगी, व मोक्ष घटित नहीं हो सकेगा | विचार की परीक्षा में कर्म जैसी वस्तु नहीं ऐसा लगता है । कहिये 'यदि जगत में कर्म जैसी वस्तु न हो तो विचित्र कार्य किससे होते हैं ? कोई नवजात शिशु सोने की चम्मच से दूध पीता है तो किसी को माता का दूध भी पूरा मिलता नहीं, ऐसी भिन्नता क्यों ?' अकस्मात् हो ऐसा होता है । उलटा कर्म मानने पर विडंबना का सामना करना पड़ता है I अकस्मात कार्योत्पति' इसका खण्डन कार्य अकस्मात् उत्पन्न होता है, इससे अकस्मात् अर्थात् क्या ? (१) बिना कारण ही उत्पन्न होता है । ( २ ) स्वभाव से उत्पन्न होता है । (३) बाह्य अन्य साधन द्वारा नहीं परन्तु स्वयं से ही उत्पन्न होता है । यह 'स्वात्महेतुक' है । (४) किसी कारण से नहीं परन्तु असत् पदार्थ से उत्पन्न होता है । (१) 'कारण बिना कार्य' यह कहना गलत है । स्थान स्थान पर अनुभव होता है कि कार्य के लिए कारण को ढूंढना या प्राप्त करना पड़ता है । अग्नि हो I Jain Education International * ३२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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