Book Title: Gandharwad
Author(s): Bhuvanbhanusuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 8
________________ पूर्व जन्म स्मरण: आत्मा अर्थात् क्या? उपमान अर्थापत्ति और संभव प्रमाणों से आत्मसिद्धि आत्मा के सम्बन्ध में वेदान्त सांख्य योग दर्शन न्याय-वैशेषिक- बौद्ध दर्शन दया - दान - दम से आत्म-1 -सिद्धि 'विज्ञान घन एव...' का अर्थ, इन्द्रभूति की दीक्षा द्वितीय गणधर : अग्निभूति कर्म है ? कर्म विषयक शंका श्रद्धा की आवश्यकता न दिखने के ११ कारण कर्म की सिद्धि : परलोकी है : कर्म विचार संगत हैं कर्म यह हिंसा, राग, द्वेष और कर्म से जन्य हैं । 'अकस्मात जन्म लेते हैं' के चार अर्थ पुण्यानुबन्धी आदि ४ कर्म-सिद्धि के अनुमान दान - हिंसादि का फल सामग्री समान होने पर भी भेद कर्म से : मूर्त का कारण मूर्त आकाशीय विकार अनियत, जब कि सुख दुःखादि नियत अमूर्त आत्मा को मूर्त कर्म क्यों लगता है ? ईश्वर कर्ता क्यों नहीं ? 'पुरुषेवेदं ग्नि' का अर्थ विधिवाद, अर्थवाद, अग्निभूति की दीक्षा तृतीय गणधर : वायुभूति अनुवाद शरीर ही जीव है क्या? संदेह का कारण : जीव भिन्न इसके तर्क प्रत्येक में हो तभी समुदाय में हो, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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