Book Title: Gandharwad Author(s): Bhuvanbhanusuri Publisher: Divya Darshan Trust View full book textPage 7
________________ • गणधरवाद : विषय. विषय महावीर प्रभु की साधना : केवलज्ञान में क्या? ११ ब्राह्मण और उनके संदेह इन्द्रभूति का अभिमान : लोगों की प्रभुप्रशंसा वादार्थ इन्द्रभूति प्रभु के पास प्रभु-दर्शने आश्चर्य और प्रभु की निरूपमता का भान प्रभु की वेद-ध्वनि समजाने की सुन्दर रीति प्रथम गणधर : इन्द्रभूति • आत्मा है? आत्मा प्रत्यक्ष से सिद्ध नहीं, अनुमान व अन्य सब प्रमाणों से असिद्ध आत्मा ६ प्रकार से प्रत्यक्ष-सिद्ध आत्म-साधक अनुमान, देहगाड़ी का प्रवर्तक अश्व आत्मा मन-वाणी-देहप्रवृत्ति को रोकनेवाली आत्मा अन्वय-व्यतिरेक व्याप्ति, शरीर एक यन्त्र महल, कारखाना, भोग्य भोक्ता जीव माली, इन्द्रियां कारण, इन्द्रियों की प्रवृत्ति किसी के आदेशानुसार, किसी से नियमित इन्द्रियों के बीच कलह आत्मशम्य शरीर ममत्व की वस्तु, मानसिक सुख-दुःख का भोक्ता माता से विलक्षण गुण-स्वभाव पुत्र में स्तन-पान संस्कार युगल पुत्र में रुचि आदि का भेद : उपयोग कषाय लेश्यादि का धर्मी ज्ञानादि गुण के अनुरूप गुणी:सत् ही का संदेह-भ्रम-प्रतिपक्ष-निषेध निषेध ४ का 'जीव' व्युत्पत्तिमान शुद्ध पद : जीव के स्वतन्त्र पर्याय शब्द : अन्तिम प्रिय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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