________________ देवेन्द्रस्तव [ बोस भवनपति इन्द्र ] 15. असुरों के दो भवनपति इन्द्र हैं-(१) चमरेन्द्र और (2) असुरदेव। उसी तरह से दो नागकुमार इन्द्र हैं-(३) धरणेन्द्र और (5) भूतानन्द / 16. हे सुन्दरी ! दो सुपर्ण इन्द्र हैं-(५) वेणुदेव और (6) वेणुदालि / उसी तरह दो द्वीपकुमार इन्द्र हैं-(७) पूर्ण और (8) वरिष्ठ / 17. दो उदधिकुमार इन्द्र हैं-(९) जलकान्त और (10) जलप्रभ / ( उसी तरह ) (11) अमितगति और (12) अमितवाहन नामक दो दिशाकुमारों के इन्द्र हैं। 18. दो वायकुमार इन्द्र (हैं)-(१३) वेलम्ब और (14) प्रभजन / उसी प्रकार (15) घोष और (17) महाघोष नामक दो स्तनितकुमारों के इन्द्र (हैं)। 19. दो विद्युतकुमार इन्द्र (हैं)-(१७) हरिकान्त और (18) हरिस्सह / ( उसी प्रकार ) (19) अग्निशिख और (20) अग्निमानव नामक दो अग्निपति इन्द्र (है)। ... 20. हे विकसित यश एवं विकसित नयनों वाली! सुखपूर्वक भवन में बैठी हुई, ( पूर्व में ) मेरे द्वारा जो ये बीस ( इन्द्र ) कहे गये हैं, ___ इनके भवन-परिग्रह के सम्बन्ध में सुनो। . . [भवनपति इन्द्रों की भवन संख्या ] 21. उन चमरेन्द्र, वैरोचन ( और ) असुरेन्द्र महानुभावों के श्रेष्ठ भवनों की ( संख्या ) चौसठ लाख (है) (और वे आकार-प्रकार में) विस्तीर्ण 22. उन भूतानन्द, धरण नामक दोनों नागकुमार इन्द्रों के श्रेष्ठ भवनों की ( संख्या ) चौरासी लाख (है) (और वे भी आकार-प्रकार में ) विस्तीर्ण ( हैं)।